Header Ads

Header ADS

“गीता का सत्य सार”

1. प्रश्न:- गीता का ज्ञान कब तथा किसने, किसको सुनाया, किसने
लिखा? कृप्या विस्तार से बताऐं।
उत्तर:- श्री मद्भगवत् गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके
काल भगवान ने (जिसे वेदों व गीता में “ब्रह्म” नाम से भी जाना जाता है) अर्जुन को सुनाया। जिस समय कौरव तथा पाण्डव अपनी सम्पत्ति अर्थात् दिल्ली के
राज्य पर अपने-अपने हक का दावा करके युद्ध करने के लिए तैयार हो गए थे,
दोनों की सेनाऐं आमने-सामने कुरूक्षेत्रा के मैदान में खड़ी थी। अर्जुन ने देखा कि
सामने वाली सेना में भीष्म पितामह, गुरू द्रोणाचार्य, रिश्तेदार, कौरवों के बच्चे,
दामाद, बहनोई, ससुर आदि-आदि लड़ने-मरने के लिए खड़े हैं। कौरव और पाण्डव आपस में चचेरे भाई थे। अर्जुन में साधु भाव जागृत हो गया तथा विचार
किया कि जिस राज्य को प्राप्त करने के लिए हमें अपने चचेरे भाईयों, भतीजों,
दामादों, बहनोइयों, भीष्मपिता जी तथा गुरूजनों को मारेंगे। यह भी नहीं पता कि
हम कितने दिन संसार में रहेंगे? इसलिए इस प्रकार से प्राप्त राज्य के भोग से
अच्छा तो हम भिक्षा माँगकर अपना निर्वाह कर लेंगे, परन्तु युद्ध नहीं करेंगे। यह
विचार करके अर्जुन ने धनुष-बाण हाथ से छोड़ दिया तथा रथ के पिछले भाग में
बैठ गया। अर्जुन की ऐसी दशा देखकर श्री कृष्ण बोले:- देख ले सामने किस
योद्धा से आपने लड़ना है। अर्जुन ने उत्तर दिया कि हे कृष्ण! मैं किसी कीमत
पर भी युद्ध नहीं करूँगा। अपने उद्देश्य तथा जो विचार मन में उठ रहे थे, उनसे
भी अवगत कराया। उसी समय श्री कृष्ण जी में काल भगवान प्रवेश कर गया
जैसे प्रेत किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके बोलता है। ऐसे काल ने
Bhagavad Gita Religious Book at Rs 2904 /piece | Bhagavad Gita ...
श्री कृष्ण के शरीर में प्रवेश करके श्री मद्भगवत गीता का ज्ञान युद्ध करने कीप्रेरणा करने के लिए तथा कलयुग में वेदों को जानने वाले व्यक्ति नहीं रहेंगे,
इसलिए चारों वेदों का संक्षिप्त वर्णन व सारांश “गीता ज्ञान” रूप में 18 अध्यायों
में 700 श्लोकों में सुनाया। श्री कृष्ण को तो पता नहीं था कि मैंने क्या बोला था
गीता ज्ञान में?
अ कुछ वर्षों के बाद वेदव्यास ऋषि ने इस अमृतज्ञान को संस्कृत भाषा
में देवनागरी लिपि में लिखा। बाद में अनुवादकों ने अपनी बुद्धि के अनुसार इस
पवित्रा ग्रन्थ का हिन्दी तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जो वर्तमान में गीता
प्रैस गोरखपुर (न्ण्च्) से प्रकाशित किया जा रहा है।

2 टिप्‍पणियां:

Blogger द्वारा संचालित.