कबीर साहेब प्रकट दिवस 2020: परमात्मा का विधान है कि वह चारों युगों में इस लोक में अलग-अलग रूप में प्रकट होते हैं। वेदों में प्रमाण है के वह पूर्ण परमात्मा अपने निजधाम सतलोक से चलकर शिशु रूप में प्रकट होता है और उसकी परवरिश की लीला कुंवारी गायों के दूध से होती है ।

कबीर साहेब का सतयुग में प्रकट होना

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब सबसे पहले सतयुग में इस धरा पर प्रकट हुए। एक निसंतान दंपति विद्याधर ब्राह्मण और उनकी पत्नी दीपिका को शिशु रूप में मिले। उन्होंने परमात्मा का नाम सत सुकृत रखा । सतयुग में कबीर साहेब सत सुकृत नाम से आते हैं शास्त्र विरुद्ध साधना कर रहे मानव मात्र को अपना यथार्थ ज्ञान समझाते हैं परंतु ऋषि मुनि हठयोग को श्रेष्ठ मानकर उनके ज्ञान को स्वीकार नहीं कर पाते । मनु जी आदि ऋषि उनका नाम वामदेव भावार्थ उल्टा ज्ञान देने वाला रख देते हैं। इसका प्रमाण शिवपुराण पृष्ठ 606 और 607 कैलाश संहिता प्रथम अध्याय में है।

त्रेता युग में भी आये थे कबीर साहेब

त्रेता युग में कबीर साहेब इसी प्रकार शिशु रूप में प्रकट हुए और उनका नाम मुनींद्र था। उनकी परवरिश वेद विज्ञ और उनकी पत्नी सूर्या दोनों ने मिलकर की। त्रेता युग में नल और नील मौसेरे भाई जो बीमार रहते थे उन्हें मुनींद्र जी ने सद्भक्ति से ठीक किया था और उन्हें एक वरदान दिया था कि उनके हाथ से कोई वस्तु नहीं डूबेगी।

त्रेता युग में श्री रामचंद्र जी का पुल भी समंदर पर स्वयं कबीर साहिब जी ने मुनींद्र रूप में बनवाया था ।
त्रेता युग में कबीर साहेब श्री हनुमान जी को अपना ज्ञान समझाते हैं और अंत में श्री हनुमान जी मुनींद्र ऋषि जी से उपदेश ग्रहण करते हैं। श्रीलंका के अंदर भी रावण की पत्नी मंदोदरी और रावण के भाई विभीषण मुनींद्र जी के ही शिष्य थे ।

द्वापर युग में कबीर साहेब करुणामय नाम से प्रकट हुए

कबीर साहेब प्रकट दिवस 2020: द्वापर युग में जब कबीर साहेब करुणामय नाम से प्रकट हुए और निसंतान बाल्मिक दंपति कालू तथा गोदावरी उन्हें अपने घर लेकर गए और उसी तरह कुंवारी गाय के दूध से उनकी परवरिश हुई । द्वापर युग में सुदर्शन नाम के वाल्मीकि जाति की एक पुण्यात्मा उनके शिष्य बने थे । इन्हीं सुदर्शन जी का रूप बनाकर कबीर साहिब ने पांडवों के द्वारा की गई अश्वमेघ यज्ञ में शंख बजाया था और यज्ञ सम्पूर्ण हुई थी । द्वापर युग में एक इंदुमती नाम की रानी जो कि चंद्र विजय राजा की पत्नी थी । वह लोक वेद के आधार पर साधना कर रही थी । करुणामय रूप में कबीर साहिब ने उनको सत्य ज्ञान दिया और रानी इंदुमती कबीर साहेब की शिष्य बनी उन्हें सत मंत्र देकर उनका मोक्ष कबीर साहिब ने किया ।

कलयुग में पूर्ण परमात्मा का जुलाहे की भूमिका करना

कलयुग में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब अपने वास्तविक नाम कबीर देव अर्थात कबीर साहिब नाम से प्रकट होते हैं। काशी के अंदर लहरतारा नामक तलाब पर कमल के फूल पर नीरू और नीमा नामक एक दंपति जो जुलाहे का काम करते थे, उन्हें मिले थे । 25 दिन तक उन्होंने कुछ भी नहीं खाया पिया था 25 दिन बाद कुंवारी गाय के दूध से उनकी परवरिश की लीला शुरू हुई थी । जैसा कि पहले के युगों में होता आया है ।

कबीर साहेब प्रकट दिवस 2020: 5 वर्ष की आयु में कबीर साहिब ने एक प्रसिद्ध महर्षि स्वामी रामानंद जी को अपना ज्ञान समझाया और सतलोक दिखाकर अपनी वास्तविकता से उन्हें परिचित करवाया था। उसके बाद कबीर साहेब के कहने पर ऋषि रामानंद जी ने उनके गुरु की भूमिका की थी। दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी मगहर के नवाब बिजली खान पठान काशी के नरेश वीर सिंह बघेला आदि कबीर साहिब के शिष्य हुए थे । इसके अतिरिक्त कलयुग में कबीर साहिब के 64 लाख शिष्य हुए थे । कबीर साहिब 120 वर्ष तक अपना यथार्थ ज्ञान कबीर वाणी और कबीर दोहावली के माध्यम से अनेकों जगह प्रकट होकर देकर गए ।

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दो बच्चे कमाल और कमाली जो के कबीर साहिब ने मुर्दा जीवित किए थे। वे कपड़ा बुनने का कार्य करते थे उससे जो भी धन मिलता था उससे उन्होंने उन दोनों बच्चो सहित अपने मुंह बोले माता पिता की परवरिश की और बाकी बचे पैसे से भंडारा कर देते थे ।

कबीर साहेब के सत्य ज्ञान के कारण उस समय के नकली धर्मगुरु पंडित, मुल्ला और काजी उनके दुश्मन बन गए थे। उनका सब जगह विरोध करते थे परंतु परमात्मा के सामने जीव क्या औकात रखता है ॽ परमात्मा ने अपने सत्य ज्ञान से उन सब के छक्के छुड़ा दिए। कबीर साहेब को मारने की बहुत बार साजिश रची गई परंतु उन अविनाशी को कौन मार सकता है ॽ एक सत कथा कबीर साहिब के बारे में है कि पंडित और काजीयों ने मिलकर उन्हें बदनाम करने के लिए उनके नाम की चिट्ठी सब और भेज दी कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे।

18 लाख लोगों को करवाया भंडारा

कबीर साहिब ने उनकी साजिश को नाकाम करते हुए अपने दो रूप बनाए थे और 18 लाख लोगों को 3 दिन तक लगातार भंडारा करवाया था साथ में भंडारा करने के बाद 1 मोहर और दोहर यानी छोटा कम्बल भी दिया था।  120 वर्ष तक अपना सत्य ज्ञान देने के बाद मगहर नाम के स्थान से हजारों लोगों के सामने से शरीर सतलोक चले गए थे । कलयुग में कबीर साहिब के साक्षी बहुत से संत हैं जो अपनी वाणी में प्रमाणित करते हैं कि कबीर साहेब जो काशी में जुलाहा रूप में 120 वर्ष तक रहे थे वही पूर्ण परमात्मा थे।

उनमें से मुख्य नाम है

  • श्री नानक देव साहिब जी
  • श्री धर्मदास साहेब जी
  • श्री गरीबदास साहेब जी धाम छुड़ानी हरियाणा
  • श्री घीसा दास साहेब जी धाम खेखड़ा
  • श्री रामानंद जी
  • श्री संत रविदास जी आदि

इन सब महापुरुषों ने इस बात की गवाही दी है कि जिस परमात्मा का जिक्र वेदों पुराणों और सब ग्रंथों में है वही परमात्मा खुद काशी शहर में 120 वर्ष तक 1 जुलाहे की भूमिका करके गए । आज कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपाल जी महाराज है जो कि आज कबीर साहेब की वास्तविक स्थिति से सबको परिचित करवा रहे है। उन्होंने ही कबीर साहेब के ज्ञान का उजाला पूरी दुनिया में फैला दिया है। जहा पहले अधिकतर लोग कबीर साहेब को एक कवि के रूप में जानते थे अब संत रामपाल जी महाराज के कारण वे स्वीकार करने लगे हैं कि कबीर साहेब ही अनंत ब्रह्माण्ड के स्वामी है।