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Mothers day special



सवाल अभी ये है कि जितना प्रेम एक माँ अपने बच्चे से करती है उतना कौन कर सकता है हमें? ब्रम्हा? बिष्णु? कृष्ण? शिव? आदिशक्ति? कौन? उत्तर है पूर्ण परमात्मा। एक माँ अपने बच्चे से जितना प्रेम करती है उससे कहीं ज्यादा पूर्ण परमात्मा अपने बच्चे से करते हैं। कहीं ज़्यादा ! यानी कल्पना से परे है। ऐसे ही परमात्मा करुणा के सागर नहीं कहे जाते ! तो कौन है वो पूर्ण परमात्मा जो माँ से भी अधिक प्रेम अपनी संतान से करते हैं? कबीर। जी हाँ।
Mothers Day Special Hindi: कबीर परमात्मा अपनी संतान को ऐसे ही प्रेम करते हैं। सृष्टि रचना के अनुसार हमारे माता-पिता, बहन-भाई, पति-पत्नी एवं जीवन मे आने वाले सभी लोग एक दूसरे से पुराने ऋण सम्बंध से जुड़े हैं। इतना प्रेम करने वाली माँ, ध्यान रखने वाले पिता आदि सभी हमारे असली माता पिता नही हैं। अध्ययन करने वाले इस बात से परिचित होंगे कि भारतीय आध्यत्म के दर्शन में ये बात कही जा चुकी है। गीता में स्पष्ट है।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं|
ऋण सम्बंध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा||
कबीर साहेब जी की वाणी
अर्थात हम सभी एक दूसरे से अपने पिछले ऋण सम्बन्धों से जुड़े हुए हैं। असली पिता हमारा यहाँ से कई शंख दूर है। कबीर साहेब परमात्मा हैं पर कैसे? कहाँ लिखा है? इसके लिए देखिए आप प्रमाण देख सकते हैं- कुरान में प्रमाण, गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण, वेदों में प्रमाण, बाइबल में प्रमाण। गुरु ग्रन्थ साहेब की तरह ही कबीर सागर भी आदरणीय ग्रन्थ है जिसमे सृष्टि रचना से लेकर वेदों और पुराणों के गूढ़ रहस्य हमे प्राप्त होते हैं।
■ Mothers Day 2020 Special Hindi: इस तत्वज्ञान के अनुसार हम आत्माएं अपने निजस्थान सतलोक में थीं। वहां से इस पृथ्वी पर फंसने की एक लंबी कहानी है। हम स्वयं आसक्त होकर चले आये और काल लोक में अब अपने कर्मों और जन्मों के बंधन से बंध गए। ब्रह्मा, विष्णु व महेश आदि देवता केवल हमे कर्मफल ही प्रदान कर सकते हैं, वे न तो विधि का विधान बदल सकते हैं और न ही भाग्य से अधिक दे सकते हैं। भाग्य से अधिक देने वाला एक पूर्ण परमात्मा ही है जिसने सारी सृष्टि को रचा।
गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में सर्वधर्मान्परित्यज्य माम् एकं शरणं व्रज कहकर उस पूर्ण परमात्मा की शरण मे जाने कहा है जहां जाने के बाद साधक लौटकर संसार मे नहीं आते। साथ ही अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में सृष्टि रचना का प्रमाण भी मिलता है जिसे उल्टे वृक्ष के रूप में दिखाया गया है। जड़ों में पूर्णब्रह्म कबीर परमेश्वर, तना कालब्रह्म या ज्योति निरंजन तथा तीन शाखाएं तीन गुणों ब्रह्मा, विष्णु, महेश एवं पत्ते संसार का पर्याय हैं तो पूर्ण परमात्मा कबीर है जो हमारा माता व पिता दोनों है। हम उस परमपिता की शब्द शक्ति से उत्पन्न हैं और प्रेम, विश्वास, दया आदि गुण हमे अपने पिता से मिले हैं।

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